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Category: Hindi Poem

जोश

  अब  दें रहे है धार अपनी तलवार को मेरे दुश्मन क्योंकि मुझे रोकना नामुमकिन हे… ख़ुद बेठा है फ़रिश्ता…

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Raasta

शीर्षक : रास्ता निकला था जब घर से अपने, हर तरफ़ दिखता था मुझे एक रास्ता इतने रास्ते थे, मगर…

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